Letter Of Undertaking | लेटर ऑफ़ अंडरटेकिंग

Letter Of Undertaking जी हाँ दोस्तों आज हम इसी टॉपिक के बारे में बात करेंगे।भारत सरकार के वस्तु एवं सेवा कर विभाग (GST ) विभाग के द्वारा भारत देश से निर्यात करने वालों निर्यातकों को GST मुक्त निर्यात करने के लिए नियम 96ए – बांड या लेटर ऑफ अंडरटेकिंग के तहत वस्तुओं या सेवाओं के निर्यात पर भुगतान किये गए कर को रिफंड करा लेना या फिर बिना कर के निर्यात करने की परमिशन देने लिए एक लेटर या परमिशन पेपर जारी करता है। जिसे ही Letter Of Undertaking कहते हैं।

 

Letter Of Undertaking

पर दोस्तों ये हमको पता है कि ऊपर के पैराग्राफ में लेटर ऑफ़ अंडरटेकिंग के बारे में दी हुई जानकारी आप को ठीक से समझ में नहीं आई होगी। पर लेटर ऑफ़ अंडरटेकिंग कि सही परिभाषा वही है जो ऊपर लिखी गई है। आइये अब इसे विस्तार से समझते है कि Letter Of Undertaking क्या है।

GST में लेटर ऑफ़ अंडरटेकिंग की जरूरत क्योँ ?

दोस्तों जब भी हमरे देश से कोई भी निर्यातक कोई भी वस्तु निर्यात करता है , तो हो सकता है कि निर्यातक कहीं से कोई वस्तु खरीद के या फिर ट्रेडिंग कर के निर्यात कर रहा हो। निर्यातक जहाँ से उस वस्तु को खरीदता है , उसको वहां पर GST भरनी ही पड़ती है। और इस तरह से निर्यातक को निर्यात की हुई वस्तु की कीमत बढ़ जाती है।

जिस से निर्यातक को निर्यात करने में बहुत मुश्किल आती है। और निर्यातक निर्यात करने के लिए हतोत्शहित होता है। जिससे निर्यातक के लिए अंतराष्ट्रीय बाजार में मूल्य को नियंत्रित करना बहुत मुश्किल होता है परिणाम स्वरुप निर्यातक निर्यात करना बंद कर सकता है।

इसी समस्या के समाधान के लिए भारत सरकार ने निर्यात व्यापार को बढ़ाने के लिए, निर्यातकों को सहूलियत देने के लिए GST फ्री एक्सपोर्ट या फिर शुल्क मुक्त निर्यात कि योजना लेकर आई जसके तहत पहले आप जहाँ से भी निर्यात की जाने वाली वस्तु खरीदते उसको GST भरना पड़ता था।

फिर जब आप का कार्गो एक्सपोर्ट हो जाता तो शिपिंग बिल, और बिल ऑफ़ लैडिंग और GST सम्बंधित अन्य डॉक्यूमेंट की सहायता से एक्सपोर्टर GST क्लेम कर सकता था। पर इस प्रक्रिया में 3 से 5 महीने लग जाते हैं। जिस से निर्यातकों की समश्या थोड़ी बहुत कम तो हुई पर पूर्ण रूप से समाधान नहीं हुआ।

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आइये उदहारण से समझते हैं मान लेते हैं कोई निर्यातक कोई सामान निर्यात करना चाहता है। जिसकी २० फ़ीट कंटेनर भेजने का खर्चा लगभग 10 लाख रुपया है। अब अगर इस कार्गो पर 18 % वस्तु एवं सेवा कर लग जाता है तो 10 लाख पे 1 लाख 80 हजार केवल GST टैक्स लग गया।

अब अगर ये मान लें की एक निर्यातक हर महीने ऐसे 10 कंटेनर माल निर्यात करता है तो उस हिसाब से हर महीने में निर्यातक का लगभग 18 लाख रुपया GST शुल्क विभाग के पास ब्लॉक हो गया। और अगर निर्यातक ये राशि 4 महीने बाद क्लेम कर पाता है तो 4 महीने में उसकी GST ऑफिस के पास 72 लाख रूपये लगभग होल्ड हो गए हैं।

तो यहाँ शिपर का इतना बड़ा अमाउंट GST के रूप में होल्ड हो गया । जिस से निर्यातक की समस्या यहाँ भी ख़तम नहीं हुई। इतना बड़ा अमाउंट होल्ड हो जाने के बाद हो सकता है कि निर्यातक निर्यात करने के लिए हतोत्शहित हो जाये।

तो इस समस्या के समाधान के लिए सरकार ने GST टैक्स बिलिंग में लेटर Letter Of Undertaking को लेकर आई जिसके आने के बाद काफी हद तक निर्यातकों कि समस्या का समाधान हो पाया।
आइये समझते हैं कि Letter Of Undertaking किस प्रकार से निर्यातकों के लिए बहुत उपयोगी साबित हो पाया है।

जैसा कि हमने आप को ऊपर बताया है आम स्थिति में जब भी कोई निर्यातक वस्तुओं का निर्यात करता था तो किस प्रकार से निर्यातक के कुल व्यापार राशि एक बहुत बड़ा भाग GST रिफंड के रूप में ब्लॉक हो जाता है।

 

 

 

What is Letter Of Undertaking : लेटर ऑफ़ अंडरटेकिंग क्या है?

जैसा कि हमने आप को ऊपर बताया है आम स्थिति में जब भी कोई निर्यातक वस्तुओं का निर्यात करता था तो किस प्रकार से निर्यातक के कुल व्यापार राशि एक बहुत बड़ा भाग GST रिफंड के रूप में ब्लॉक हो जाता है।

निर्यातकों को टैक्सेशन प्रणाली में आ रही समस्या को ध्यान में रखते हुए भारत सरकार ने एक नया टैक्स प्रावधान ले के आई जो निर्यातकों को शुल्क मुक्त निर्यात की आगे देता है इसी को Letter Of Undertaking  कहते हैं। जो की किस प्रकार है।

The Provision related to “export of goods or service under bond or letter of undertaking” under Rule 96 A of The Central Goods and Services Tax (CGST) Rules, 2017 are as follow:

Any registered person availing the option to supply goods or service for export without payment of integrated tax shall furnish, prior to export, a bond or a Letter of Undertaking in FORM GST RFD 11 to The jurisdictional Commissioner, binding himself to pay the tax due along with Interest specified Under sub-section (1) of section 50 within a period of

fifteen days after the expiry of three months, or such further period as may be allowed by the Commissioner, from the date of issue of the invoice for export, if the goods are not exported out of India; or

fifteen days after the expiry of one year, or such further period as may be allowed by the Commissioner, from the date of issue of the invoice for export, if the payment of such services is not received by the exporter in convertible foreign exchange or in Indian rupees, wherever permitted by the Reserve Bank of India.

आइये इस ठीक से समझते हैं Letter Of Undertaking  के प्रावधान के तहत जब भी कोई निर्यातक निर्यात प्रक्रिया शुरू करता तो निर्यातक को अब कोई गस्त कहीं भी भरने कि जरूरत नहीं है। अब निर्यातक को लगभग शुल्क मुक्त निर्यात करने कि अनुमति दे दी गई है। शुल्क मुक्त निर्यात कि यह प्रक्रिया भारत सरकार के शुल्क प्रावधान LUT के तहत इस प्रकार है।

 

 

 

LUT Full Form 

LUT का फुल फॉर्म Letter Of Undertaking  है LUT केंद्रीय वस्तु एवं सेवा कर (सीजीएसटी) नियम, 2017 के नियम 96 ए के तहत “बांड या वचन पत्र के तहत माल या सेवा के निर्यात” से संबंधित प्रावधान इस प्रकार हैं:

इसके तहत जब भी कोई निर्यातक निर्यात करने कि द्रृष्टि से भारत के अंदर ही पूरे देश में कहीं से भी किसी सामान कि खरीदारी करता है तो निर्यतक को केवल 0.1 परसेंट ही GST टैक्स भरना पड़ेगा। बदले में निर्यातक को अपना लेटर Letter Of Undertaking  का विवरण उस सप्लायर देना पड़ता है। जिसके बाद निर्यातक को टैक्स में लगभग पूरी छूट मिल जाती है।

अब सवाल ये उठता है कि सप्लायर ने निर्यातक को 0.1 परसेंट टैक्स में माल दे तो दिया पर सप्लायर ने भी अपना कच्चा माल जहाँ से खरीदा होगा उसे तो GST के वस्तु विक्रय कर हिसाब से 18 % टैक्स तो भरना ही पड़ा रहा होगा।

सप्लायर को इस लिहाज से नुकासन ही हो रहा है कि उसने खुद 18 % GST भर के सामान खरीदा और निर्यातक को । 0.1 परसेंट में आगे बेंच दिया तो इस नुकसान कि भरपाई कैसे होगी ? इसी समस्या का ही निदान है Letter Of Undertaking

 

 

लेटर ऑफ़ अंडरटेकिंग काम कैसे करता है ?

होता यूँ है कि जब निर्यातक सप्लायर को बताता है कि वो निर्यातक है उसे इस माल को एक्सपोर्ट करना है। तो सप्लायर निर्यातक से लेटर ऑफ़ अंडरटेकिंग का विवरण मांगता है और उसकी जाँच करके पूरा विवरण भर के निर्यातक को 0.1 परसेंट GST चार्ज कर मॉल दे देता है।

और सप्लायर खुद GST विभाग में ये विवरण दे कर GST क्लेम कर के दी हुई GST वापस पा लेता है। इस प्रकार सप्लायर को होने वाले नुकसान की भरपाई हो जाती है।और इस प्रकार Letter of Undertaking की मदत से शुल्क मुक्त निर्यात कर पाना संभव हो पाता है।

How to Get Letter Of Undertaking : लेटर ऑफ़ अंडरटेकिंग कैसे प्राप्त करें?

भारत सरकार ने निर्यात को प्रोत्शाहित करने के लिए लेटर ऑफ़ अंडरटेकिंग प्राप्त करने की प्रक्रिया को बहुत ही आसान बना दिया है। GST की ऑफिसियल वेबसाइट पर जाकर जरूरी दस्तवेजों को सबमिट कर के पूंछे गए विवरण को भरकर लेटर ऑफ़ अंडरटेकिंग आसानी से प्राप्त कर सकते हैं।

Document Required for Letter of Undertaking: लेटर ऑफ़ अंडरटेकिंग के लिए आवश्यक दस्तावेज 

लेटर ऑफ़ अंडरटेकिंग के लिए निम्नलिखित दस्तावेजों के आवश्यकता पड़ती है

● एल यूटी कवर लेटर
● GST रजिस्ट्रेशन की एक कॉपी
● स्व सत्यापित पैन कार्ड कॉपी
● अधिकृत व्यक्ति / हस्ताक्षरकर्ता की केवाईसी
आईईसी कोड कॉपी
●एक आवेदन पत्र
●कैंसिल चेक कॉपी

लेटर ऑफ़ अंडरटेकिंग के लिए निय व शर्तें

सप्लायर कि भरपाई हो जाने के बाद ही सप्लायर की समस्या खत्म लेकिन निर्यातक की जिम्मेदारी शुरू हो जाती है। लेटर ऑफ़ अंडर टेकिंग के उपयोग की निम्नलिखित नियम व शर्तें है।

अगर निर्यातक के ऊपर 2.5 करोड़ से ऊपर की राशि का कोई भी कर चोरी का कोई मुकदमा चल रहा हो कभी इस राशि के कर चोरी के लिए दण्डित किया गया हो निर्यातक Letter Of Undertaking  के लिए पात्र नहीं माना जायेगा।

निर्यात के लिए वास्तु खरीदारी में अगर  Letter Of Undertaking का उपयोग किया है तो खरीदारी की तारीख से 3 महीने के अंदर ही आप को निर्यात कर के उसका विवरण फिर से खरीदार को देना ही पड़ेगा।

निर्यात होने के पश्चात निर्यातक को खरीदार को शिपिंग बिल और बिल ऑफ़ लैडिंग की कॉपी निर्यात विवरण के रूप में देनी पड़ेगी।

निर्यातक से प्राप्त शिपिंग बिल कॉपी , बिल ऑफ़ लैडिंग Letter Of Undertaking का विवरण खरीदार को देना पड़ेगा।

Conclusion निष्कर्ष :

दोस्तों आज हम लोगों ने Letter Of Undertaking के बारे में विस्तार से चर्चा किये। Letter Of Undertaking शुल्क मुक्त निर्यात के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण प्रावधान है। जिससे भारत सरकार द्वारा निर्यात को बढ़ावा देने में मदत मिलेगी। लेटर ऑफ अंडरटेकिंग के बारे में एक एक जानकारी जो महत्वपूर्ण थी आप को दी गई। उम्मीद करते हैं की आप लोग दी गई जानकारी से संतुष्ट हुए होंगे। आप को को ये जानकारी कैसे लगी हमे जरूर बताएं बहुत बहुत धन्यवाद।

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