रागी इन हिंदी |10 Powerful फायदे

दोस्तों आज हम रागी इन हिंदी टाइटल के अंतर्गत रागी के बारे में पूरी चर्चा करेंगे। Ragi नाम तो सुना ही होगा , आज का हमारा विषय है रागी इन हिंदी इन्हे मोटा आनाज भी कहते हैं जब तक हम नहीं जानते तब तक ये सिर्फ अनाज हैं, जब हम जान जायेंगे तब ये चमत्कारिक अनाज हो जायेंगे। तो दोस्तों आज Ragi इस चमत्कारिक अनाज के बारे पूरी A T0 Z जानकारी देंगे आप को। रागी को एक्सपोर्ट कैसे और कहाँ करें इसकी भी पूरी जानकारी देंगे।

Ragi

दोस्तों हम सब लोग जानते हैं या शायद हम में से कुछ लोग न भी जानते होंगे की की लगभग 50 साल पहले ही जो हमारा मुख्य भोजन था, आज के भोजन से बिलकुल ही अलग था। पहले खेती के लिए सिंचाई के साधन में सिर्फ दो ही साधन हुआ करते थे। एक तो बारिश के पानी से सिंचाई करते थे दूसरा कुओं के पानी से अपने खेतों की सिंचाई करते थे।

तो तब वही फसलें बोई जाती थी तो जो मौसम के अनुकूल हो। कम पानी में पैदा हों जाये।और पौष्टिकता भी पर्याप्त रहे। इन्ही सब बातों को ध्यान में रखते हुए ज्यादातर मोटे अनाजों की खेती ही के जाती थी। जैसे चना,जौ ,जवार ,बाजरा ,रागी ,सावां, कोदो अदि बहुत सारे मोटे और पौष्टिक अनाज ही उगाये जाते थे।

आज के जो अनाज हैं, गेहूं चावल लगभग 80 % आबादी तो यही भोजन कर रही है। और आप को जान के ताजुब होगा की तब जब हमारे देश में स्वस्थ्य और चिकित्सा की इतनी ज्यादा व्यवस्था नहीं थी। अच्छे अस्पताल नहीं थे , अच्छी दवाइयां नहीं थी। तब भी हमारे पूर्वजों की औषत आयु लगभग 90 से 100 वर्ष की होती थी।

उनके शरीर की लम्बाई ,उनका स्वस्थ्य हमसे बहुत बेहतर होता था। आज जब विज्ञान इतना आगे बढ़ गया है ,अच्छे हॉस्पिटल हैं अच्छी दवाइयां है, जरा सा भी कुछ हुआ तो एम्बुलेंस से बहुत कम समय में अस्पताल पंहुच जा रहे।

 

फिर भी आज हम मानवों की औसत आयु लगभग 60 वर्ष आ गई है। बीमारी का पता ही नहीं चलता , और धीरे धीरे छोटी सी बीमारी बहुत बड़ी हो जाती है। आज हर तीसरा इंसान शुगर और हाई ब्लड प्रेशर से ग्रषित है। बीमार है, दवाइयों के बल पर जिंदगी चल रही।

जब इन्ही सब चीजों पर ठीक से विचार किया गया की ऐसा क्या हो गया, जो हम इंसान इतनी तरक्की के बाद भी हमारी औषत आयु काम होती जा रही है। क्या कारण हो सकता है। जब ठीक से जांच की गई तो सबसे बड़ा जो फर्क मिला वो था खान पान का। उनके और हमारे खान पान में बहुत अंतर मिला। जो हम अनाज खाते हैं , और जो वो खाते थे दोनों के अनाज की पोषक तत्त्वों में बहुत फर्क मिला।

जो हमारे पूर्वजों द्वारा अनाज खाये जाते थे, जिसमे जवार, बाजरा, रागी, सावां, कोदो जौ, चना आदि बहुत ही अधिक पौष्टिक आनाज होते थे। अब सरकार भी इन अनाजों को फिर से बढ़ावा दे रही। हमारे प्रधान मंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने इन फूड्स को सुपर फूड्स का नाम दिया है। और सरकार नई योजनाओ के माध्यम से इन सुपर फूड्स को बहुत अधिक बढ़ावा दे रही। इन्ही में एक अनाज है जिसका नाम है Ragi , तो दोस्तों इसी लिए आज हम अपने टॉपिक रागी इन हिंदी के अंतर्गत आप सब को इसके बारे में पूरी जानकारी देंगे।

रागी क्या होता है | Ragi Kya Hota hai 

Ragi हम इंसानों द्वारा भोजन के उपयोग में लाया जाने वाला बहुत ही पौष्टिक आनाज है। इसे नाचनी या मंडुवा भी कहते हैं। सभी नामों में रागी बहुत ही प्रचलित नाम है। आज हम इसी नाम Ragi से ही इसके बारे में चर्चा करेंगे। प्राचीन कल से ही हम इंसानों के मुख्य भोजन में शामिल रहा रागी के बारे में ठीक से तो नहीं कहा जा सकता।

लेकिन लगभग 4से 4.5 हजार साल पहले ये हमारे देश में आया था। तब से ये हमारे मुख्य भोजन में शामिल रहा। Ragi खाने में कुछ खास स्वादिष्ट तो नहीं पर पोषक तत्वों के बारे में इसका अन्य किसी अनाज से कोई मुकाबला ही नहीं है। Ragi में बहुत अधिक मात्रा में प्रोटीन, विटमिन, और मिनिरल पाया जाता है।

रागी में 2 पोषक तत्व सबसे ज्यादा पाया जाता है वो है कैल्शियम और फाइबर। जितने भी अनाज पाए जाते हैं, कैल्शियम रागी से ज्यादा किस भी अन्य अनाज में इतना नहीं पाया जाता। अनाज में पाए जाने वाले फाइबर के मामले में रागी अद्वितीय अनाज है। Ragi में प्रति 100 ग्राम लगभग 11 ग्राम फाइबर पाया जाता है।

जो अन्य किसी भी अनाज की तुलना में पाए जाने वाले फाइबर से बहुत अधिक है।दुनिया के लगभग हर हिस्से में Ragi की खेती होती है लेकिन भारत के अलावा अफ्रीका और इथोपिया में इसकी खेती सबसे ज्यादा की जाती है। आप को जान कर हैरानी होगी की पूरी दुनिया का लगभग 58 % Ragi हमारे ही देश में पैदा होती है।

लेकिन जानकारी के आभाव में हम लोग Ragi का उपयोग उतना ढंग से नहीं कर पाते जितना इसकी उपयोगिता है। परिणामस्वरुप ये बाहर के देशों में निर्यात कर दिया जाता है। जहाँ इसकी मांग और खपत बहुत ज्यादा है।

रागी इन हिंदी | Ragi In Hndi

दोस्तों आज का हमारा विषय है रागी इन हिंदी। मतलब आज हम रागी इन हिंदी इस विषय के अंतर्गत रागी के बारे में पूरे विस्तार से चर्चा कर रहे हैं। Ragi को हिंदी में नाचनी भी कहते हैं इसका दूसरा नाम मंडुवा भी है। रागी राइ के जैसा दिखने वाला एक चम्तकारिक आनाज है।

जिसमे खनिज एवं मिनिरल्स की मात्रा बहुत अधिक मात्रा में पाई जाती जाती। रागी हर प्रकार से हम लोगों के लिए फायदेमंद होती है। रागी एक चमतकारीक अनाज है।इसका अंदाजा आप इसी से लगा सकते हैं कि जैसे अन्य किसी भी अनाज के भण्डारण के लिए आप को उसमे कीटनाशक या अन्य कोई हानिकारक दवाइयां मिला के रखनी पड़ती है।

लेकिन Ragi के लिए ऐसे किसी भी कीटनाशक कि जरूरत नहीं पड़ती। यह अपने आप कीटों से सुरक्षित रहता है।Ragi खाने में उतना टेस्टी या स्वादिष्ट तो नहीं पर इसके फायदे जान जाने के बाद आप खुद ही चमत्कारिक अनाज या सुपरफूड कहने लग जायेंगे। रागी में प्रोटीन, फाइबर आयरन, मिनरल्स भरपूर मात्रा में पाया जाता है।

भारत में कई राज्यों में बोली जाने वाली अलग-अलग भाषाओं के कारण रागी के अन्य नाम भी होते हैं। इनमें से कुछ नाम निम्नलिखित हैं:

●रागी का हिंदी नाम (रागी इन हिंदी Name) – मंडुआ, रागी, नाचनी

●रागी का अंग्रेजी नाम – इंडियन मिलेट, फिंगर मिलेट

●रागी का राजस्थानी नाम – रागी

●रागी का अरबी नाम – तैलाबोन

●रागी का तेलुगु नाम – रागुलू

●रागी का संस्कृत नाम – त्रित्य्कुंदल

●रागी का तमिल नाम – केल्चारागु

●रागी का पंजाबी नाम – चलोडरा

●रागी का मराठी नाम – नचीरी

●रागी का मलयालम नाम – मुत्तरी

●रागी का तमिल नाम – केल्चारागु

●रागी का वनस्पति नाम – एलुसैनी कोराकैना

रागी में पाए जाने वाले पोषक तत्त्व

रागी एक बहुत ही प्रभावशाली पोषण वाले अनाजों वाले कुल से आता है। रागी में बहुत ही आवश्यक माइक्रोनुट्रिएंट्स, प्रोटीन, वसा के साथ-साथ महत्वपूर्ण खनिजों एवं विटमिंस प्रचुर मात्रा में शामिल है।

बात अगर हाई ब्लड-प्रेशर या ह्रदय संम्बन्धित बीमारियों की की जाये तो Ragi में कोलेस्ट्रॉल और सोडियम बिलकुल नगण्य रूप में पाए जाते है।रोगप्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने एवं शरीर की प्रतिरक्षा तंत्र में उत्तरोत्तर वृद्धि करने में सहायक विटमिन C और E भी प्रचुर की मात्रा में पाए जाते हैं।

बढ़ते बच्चों और गर्भवती महिलाओं के लिए Ragi के अद्भुद फायदे हैं। किसी भी गर्भवती महिला के लिए जितने भी पोषक तत्त्वों की आवश्यकता होती है वो सब ही इसमें प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं।जैसे फोलिक एसिड , आयरन ,कैल्शियम , मैंगनीशियम अदि भी इसमें अधिक मात्रा में पाए जाते हैं।

Ragi In Hindi

क्या आप को पता है Ragi नॉनग्लूटेन और नॉनएसिडिक है। जिसे ये गैस की समस्या से गुजर रहे लोगों के लिए बहुत ही लाभकारी अनाज है। राष्ट्रीय पोसन संस्स्थान के अनुसार 100 ग्राम रागी में 344 mg Calcium पाया जाता है।

राष्ट्रीय पोषण संसथान के अनुसार प्रति 100 ग्राम रागी के आटे में पाए जाने वाले पोषक तत्त्व इस प्रकार हैं :

●रागी कैलोरी – 385

●मैक्रोन्यूट्रिएंट्स:

●कुल वसा 7%

●संतृप्त वसा 3%

●पॉलीअनसैचुरेटेड फैट 5%

●मोनोअनसैचुरेटेड फैट 2%

●कोलेस्ट्रॉल 0%

●सोडियम 0%

●कुल कार्बोहाइड्रेट 25%

आहारीय फाइबर 14%

●शर्करा 2%

●प्रोटीन 10%

सूक्ष्म पोषक तत्व:

खनिज:
●कैल्शियम 26%

●आयरन 11%

●पोटेशियम 27%

विटामिन:

●थायमिन 5%

●राइबोफ्लेविन 7.6%

●नियासिन 3.7%

●फोलिक एसिड 3%

●विटामिन सी 7%

पोषक तत्त्वों से पूर्ण नाश्ता :

आज हम रागी इन हिंदी इस विषय के अंतर्गत रागी के बारे में पूरे विस्तार से चर्चा कर रहे हैं। तो आइये इसका जानते हैं की इसका हमारे खान-पान में रागी का उपयोग किस प्रकार कर सकते हैं। रागी में एंटीऑक्सीडेंट्स, फाइबर, प्रोटीन ,कैल्शियम ,आयरन, विटामिन ई, बी कॉम्प्लेक्स , विटामिन C , और दैनिक जीवन में एक दिन में उपयोग में आने वाली पर्याप्त कैलोरी, वसा जैसे अन्य पौष्टिक तत्त्वों की मात्रा प्रचुर रूप में पाई जाती है।

रात में सोते समय पाचन क्रिया अपने चरम स्तर पर रहती है।नाश्ते में अगर Ragi या उसे से बना हुआ कोई भी नाश्ता चाहे वो रागी के पराठे हो ,लड्डू हो या फिर उपमा हो ,खाने से पाचन रस सक्रिय हो कर पाचन क्रिया को पूर्ण करने को प्रेरित करते हैं। परिणाम स्वरुप सभी पोषक तत्त्व अवशोषित होकर रक्त में प्रवाहित होते हैं और शरीर के महत्वपूर्ण अंगों को ठीक से कार्य करने में मदत करते हैं हैं।

Ragi Benefits रागी के फायदे

दोस्तों जैसा की आप को पता है की आज हम रागी इन हिंदी विषय के अंतर्गत रागी के बारे में चर्चा कर रहें हैं ,तो आइये रागी इन हिंदी में आगे रागी के फायदों के बारे में आप को बताते हैं।

प्रमुख अमीनो एसिड की आपूर्ति कारक भी है

हमारे शरीर में दैनिक दिनचर्या में शरीर के अंदर विभिन्न प्रकार की क्रियाओं को ठीक से संचालित करने के लिए कई प्रकार के अमीनो एसिड के आवश्यकता पड़ती रहती है। रागी के अंदर प्रमुख अमीनो एसिड की मात्रा प्रचुर मात्रा में पाई जाती है।

Ragi Mudde

उदाहरण के लिए मेथिओनीन एक ऐसा अमीनो एसिड है जो हमारी त्वचा की देखभाल और छतिग्रस्त बालों को पुनर्जीवित करने में मदत करता है। दूसरा अमीनो एसिड वेलिन और आइसोल्यूसीन जो की सल्फर आधारित अमीनो एसिड है , इसकी भी मात्रा प्रचुर मात्रा में पाई जाती है।

जो हमारे शरीर के अंदर घायल मांसपेशियों और ऊतकों की मरम्मत करता है। तीसरा और बहुत महत्वपूर्ण अमीनो एसिड है थ्रेओनीन दांतो और मसूड़ों के स्वस्थ्य रखने में मदत करता है। इस प्रकार रागी लगभग सभी महत्वपूर्ण अमीनो एसिडों का अच्छा श्रोत है।

 

रागी ग्लूटेन-मुक्त आहार की गारंटी देता है

हमारे रोज की खान पान में शामिल आहार जैसे गेहूं चवल इत्यादि अन्य अनाजों में जिनका सेवन हम रोज करते हैं इनमे ग्लूटेन प्रोटीन भी पाई जाती है जो हमरे बच्चों, वयस्कों और बूढ़ों के पाचन तंत्र में गैस की संशय उत्पन्न करती है। ख़राब पाचन तंत्र हमे बीमार बनाता है।

इसकी अपेक्षा Ragi जैविक रूप से पूरी तरह ग्लूटेन मुक्त अनाज होने के कारन गेहूं, चावल एवं अन्य ग्लूटेन युक्त अनाजों का बेहतरीन विकल्प है। इसका उपयोग गेहूं की जगह रोटी बनाने में , डोसा बनाने में , मिठाई बनाने में किया जा सकता है। ग्लूटेन मुक्त आहार अच्छे पाचन एवं स्वस्थ्य की गारंटी होता है

Ragi के सेवन की बात की जाये तो Ragi सेवन करने के लिए सुबह का टाइम सबसे अच्छा रहता है। इसके पीछे का प्रमुख कारण यह है की रागी में फाइबर की मात्रा प्रचुर मात्रा में पाई जाती है। फाइबर की वजह से पाचन क्रिया ज्यादा समय लेती है इसकी वजह से पाचन क्रिया बहुत अच्छे से हो पाती है।

 

एनीमिया का इलाज

कभी कभी ऐसा होता है की हम ऐसे ही बेवजह ही थके-थके से मुहसूस करते हैं। कुछ करने का मन नहीं करता अंदर से बहुत Low Energy महसूस होती है अक्सर ऐसा एनीमिया के कारण से होता है। एनीमिया में शरीर बिल्किल सुस्त हो जाती है। और जहाँ तहँ लेट या बैठ जाते हैं।

ऐसा ज्यादातर एनीमिया के कारण ही होता है। एनीमिया होने का मुख्य कारण खून में हीमोग्लोबिन और आयरन की कमीरागी को आयरन का पावरहाउस भी कहा जाता है। रागी के रेगुलर और उचित सेवन से खून में हीमोग्लोबिन की मात्रा बढ़ती है ,साथ साथ आयरन की भी मात्रा में भी बढ़ोतरी है। इस तरह से Ragi एनीमिया के इलाज में बहुत मदतगार होता है।

 

कैल्शियम का सबसे अच्छा प्राकृतिक स्त्रोत

वैसे तो कैल्शियम के प्रक्रितक साधनो में दूध को सबसे मुख्य साधन माना जाता है। लेकिन अगर दूध से भी ज्यादा बड़ा कोई कैल्शियम का मुख्य स्त्रोत है तो वो है रागीरागी में प्राकृतिक रूप से कैल्शियम बहुत प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं। जिसके कारण फिंगर मिलेट बढ़ते हुए बच्चों के बहुत ही ज्यादा फायदेमंद है।

Ragi बच्चों के लिए प्राकृतिक रूप से कैल्शियम का सबसे अच्छा स्त्रोत है। रागी बूढ़ों के लिए भी अस्थि घनत्त्व को बढ़ाने का कार्य करता है। रागी के नियमित और उचित मात्रा में सेवन से बुजुर्गों में ऑस्टियोपोरोसिस के लक्षण में कमी आती है।

बुजुर्गों को Ragi का सेवन सावधानी से उचित मात्रा में करना चाहिए जबकि युवाओं को कोई समस्या नहीं आती। Ragi के सेवन से युवाओं में हड्डियां मजबूत और किडनी संबंधी समस्याओं में भी मदत मिलती है।

 

डाइबटीज रोगियों में ब्लड शुगर लेवल को नियंत्रित करता है

रागी इन हिंदी में Ragi या नाचनी वैसे तो कैलोरी और लगभग 25 % कार्बोहइड्रेट के साथ बहुत अच्छे रूप से ऊर्जा का स्त्रोत है। जो हमें हमारी दैनिक क्रिया कलापों में लगने वाली ऊर्जा की आपूर्ति को सुनिश्चित करता है। इसी के साथ साथ इसमें कुछ अन्य पौध रसायन भी पाए जाते हैं जिनका नाम फाइटेट्स, टैनिन, और पॉलीफेनोल्स है।

ये हमारी पाचन क्रिया को धीमा कर देते हैं। जिसके परिणाम स्वरुप मधुमेह रोगियों में उच्च रक्त शर्करा की मात्रा कम होती है। Ragi में फाइबर की प्रचुर मात्रा में मौजदगी पाचन क्रिया को विस्तारित करती है परिणाम स्वरुप वजन घटने लगता है।

वजन घटाने से मोटापा और मधुमेह रोगियों के लिए बहुत फायदे मंद है। वजन और मोटापे सम्बंधित बीमारियों में उचित प्रबंधन के कारण ही रागी युवाओं का बहुत प्रिय और प्रचलित आहार है।

 

ह्रदय के स्वस्थ्य के लिए लाभदायक

दोस्तों रागी इन हिंदी के बारे में चर्चा करते हुए आगे आप को रागी के ह्रदय सम्बंधित फायदों के बारे में बताते हैं। जैसा की हमने आप को शुरू में बता दिया था की Ragi एक चमतकारीक अनाज है। आप को जान कर हैरानी होगी की Ragi में हर वो तत्व पाया जाता है जो हमारे स्वस्थ्य के लिए लाभदायक होता है। और वो तत्त्व बिलकुल नहीं पाए जाते जो हमरे स्वस्थ्य के लिए हानिकारक हैं।

उदहारण के Ragi में इतनी अधिक मात्रा प्रचुर मात्रा प्रोटीन और मिनिरल्स पाए जाने का बावजूद इसमें कोलेस्ट्रॉल और सोडियम बिलकुल भी नहीं 0 % पाया जाता है। जिसकी वजह से ह्रदय रोग से ग्रसित व्यक्तियों को रागी का सेवन करना ही चाहिए।

चूँकि रागी में फाइबर और विटामिन बी3 या नियासिन की प्रचुर मात्रा में पाया जाता है ज जो रक्त में Bad Cholesterol को बढ़ाता है और Bad Cholesterol  को कम करता है। यही खून की नसों में वसा और फैट जमने से रोकती हैं , जिस से रक्त परिसंचरण ठीक से हो पाता है और दिन रात 24×7 स्वस्थ्य तरीके से धड़कता रहता है।

 

गर्भवती महिलाओं एवं स्तनपान करा रही महलाओं के लिए लाभ दायक

Ragi में हर वो तत्व प्रचुर मात्रा में पाया जाता है जिन जिन तत्त्वों की जरूरत एक गर्भवती महिला को होती है। फोलिक एसिड , आयरन , कैल्शियम इन तीनो की आवश्यकता गर्भवती महिलाओं को बहुत ज्यादा मात्रा में होती है।

Ragi इन सब पोषक तत्वों के लिए आहार पूरक अनाज है। इसी तरह स्तनपान करा रही महिलाओं के लिए रागी बहुत ही फायदेमंद है। Ragi में पाए जाने वाले तत्त्व दुग्ध उत्पादन को प्रोत्साहित करने और युवा माताओं में हार्मोनल गति विधियों को संतुलित करता है।

 

कैंसर रोधी क्षमता होने के कारण कैंसर को होने की संभानाओं को कम करता है 

रागी इन हिंदी में अगर रागी के बारे में बात की जाये कुछ शोध बताते हैं कि Ragi में कैंसर रोधी क्षमता पाई जाती है। अनियमित कोशिका विभाजन एवं अनियमित कोशिका वृद्धि कैंसर के मुख्य कारणों में से एक हैं। Ragi में एंटीऑक्सीडेंट बहुत ही पर्याप्त मात्रा में पाया जाता है। एंटीऑक्सीडेंट जिसकी चर्चा आजकल चारो तरफ होती है। हम नई-नई खोज करने में लगे हैं की एंटीऑक्सीडेंट सबसे ज्यादा किसमे पाया जाता है।

हमारे पूर्वजों ने 4000 साल पहले ही रागी को अपने आहार में शामिल कर के ये बता दिया था उनकी समझ कितनी उन्नत थी। फिंगर मिलेट में मौजूद फेनोलिक एसिड, फ्लेवोनोइड और टैनिन में बहुत प्रभावी एंटीऑक्सीडेंट गुण होते हैं। जो हमारे शरीर में होने वाली अनियमित कोशिका विभाजन और कोशिका के ऑक्सीकरण को रोकते हैं जो हमे कैंसर जैसी बीमारी के होने वाले संभावित खतरों से बचाती है।

 

रागी को कैसे पहचाने : रागी कैसे दिखता है

रागी इन हिंदी के विषय में बात करते हुए आइये आप को बताते हैं कि रागी दीखता कैसे है। Ragi दुनिया सबसे पुराणी फसल मानी जाती है। रागी सबसे पहली फसल है जिसका घरेलु इस्तेमाल शुरू किया गया। इसका पौधा लगभग १ मीटर लम्बा होता है। रागी दिखने में सरसों के जैसे, सरसों से आकार में थोड़ी बड़ी , हलके लाल रंग का होता है। रागी के पौधे का कुल पोएसी होता है। रागी लगभग हर प्रकार के मौसम में उगाया जा सकता है।

 

Ragi Ki Kheti : रागी की खेती 

रागी इन हिंदी इस विषय के अंतर्गत रागी के बारे में पूरे विस्तार से चर्चा करते हुए आइये जानते हैं कि रागी कि खेती कैसे की जाती है।अलग अलग प्रजातियां अलग मौषम में अच्छी फसल देने के लिए अनुकूल मानी जाती है।

रागी मुख्यतः 70 दिन से 115 दिन की फसल होती है।रागी की विभिन्न प्रकार की किश्में हैं, जो अलग-अलग मौषम में पैदा करने के अनुकूल मानी जाती हैं ,जैसे VL मंडवा , मंडवा 101, VL मंडवा , VL 204, VL 149। पहाड़ी क्षेत्रों के लिए KM 65 , PES 165, छत्तीसगढ़ रागी 1 , छत्तीसगढ़ रागी 2 , इत्यादि फसलें प्रचलित हैं।

कर्नाटक Ragi का सबसे बड़ा उत्पादक राज्य है। आंध्रा प्रदेश और कर्नाटक सबसे ज्यादा रागी का उपभोग किया जाता है। एक समय में रागी को गरीबों का अनाज कहा जाता था। Ragi की खेती करने के लिए बहुत कम खर्चे में हो जाती है।

Ragi की खेती के लिए जून जुलाई में ही खेत को तैयार कर के नर्सरी डाल देते हैं। नर्सरी डालने के 12 से 15 दिन बाद रोपा लगने के लिए तैयार हो जाते हैं। खेत की फिर जुताई कर के मिटटी को ठीक से भुरभुरी बना ली जाती है। खाद के लिए ज्यादा कुछ डालने की जरूरत नहीं होती। केवल जैविक खाद और गोबर की खाद का उपयोग करते हैं।

प्रति एकड़ 1 ट्राली गोबर की खाद डालते हैं। क्यारियों में रोपा करते हैं। रोपा करने के टाइम एक पौधे से दुसरे पौधे की दूरी लगभग 9 इंच राखी जाती है।

रागी की फसल में लगने वाली लागत

लागत की बात की जाये तो लगभग 10 हजार रुपये प्रति एकड़ की हिसाब से लागत आती है।

पैदावार

पैदावार लगभग 8 से 10 कुंतल प्रति एकड़ की हिसाब हो जाती है।

कीमत

देशी बाजार में रागी कीमत 50 से 60 रुपये प्रति kg के हिसाब से बिकता है इस हिसाब से लगभग 50 हजार प्रति कुंतल हिसाब से बिक जाता है।

लाभ

रागी इन हिंदी के बारे में बात करते हुए आइये जानते हैं की रागी की खेती में प्रति एकड़ कितना लाभ कमा सकते हैं।

लाभ प्रति एकड़ की लागत 10 हजार और प्रति एकड़ की पैदावार 10 कुंतल की हिसाब से 50 हजार प्रति एकड़ की कमाही होती है। अब अगर लागत को निकाल दिया जाये तो। 40 हजार शुद्ध लाभ प्रति एकड़ की हिसाब से हो जाता है।

 

रागी आटा लाभ |Ragi Atta Benefits in Hindi

 

वैसे तो बाजार में बहुत सारे ब्रांड्स के Ragi के आटे बिक रहें हैं उनमे से कुछ Quality के हिसाब से शयद अच्छे हो या फिर हो सकता है की उसमे कुछ मिलावट हो। लेकिन अगर आप शुद्ध आटा अपने घर पे ही बनाना चाहतें हैं तो हम आप को बेहतरीन रेसिपी बता रहें हैं जिसके हिसाब से आप शुद्ध Ragi Flour अपने घर पर ही बना सकते हैं।

Ragi Flour घर पे बनाने के लिए आप को सबसे पहले 1 किलो Ragi लेनी है इसे अच्छे साफ़ कर के धुल मिटटी के सारे कण अलग कर लेते हैं। वैसे तो Ragi देखने में बहुत साफ दिखती है लेकिन जब पानी दाल के धोना शुरू करते हैं तो ,पहले बहुत गन्दा पानी दिखेगा फिर जैसे-जैसे हम बार-बार धोते जायेंगे वैसे-वैसे पानी साफ़ होता जायेगा।

हमे तब तक तक बार-बार पानी से धोते रहना है जब तक की पानी साफ़ न आने लगे। धोते टाइम ही हम ध्यान से देखेंगे तो बारीक सा छिलके जैसा दिखेगा ये Ragi का ही छिलका है। वैसे तो Ragi देखने में बिलकुल राइ के जैसे ही दिखती है , लेकिन राइ से अलग रागी में छोटे-छोटे गड्ढे हैं यही रागी की पहचान है। आप आप का रागी ठीक तरीके से साफ़ हो गया है

अब आप को इसे चलनी में रखकर लगभग १1 घण्टे के लिए छोड़ देना है। ताकि पानी पूरी तरह से Ragi से अलग हो जाये। पानी अलग होने के बाद इसे सूती कपडे में डालकर धुप में लगभग एक दिन पूरा सूखा लेना है। सूखते टाइम ध्यान दें की रागी को दूर दूर फैलाना है।

पूरा दिन लगभग धुप में सूखने के बाद आप देखेंगे की अब ये लगभग पूरी तरह फ्री और चमकदार हो गया है। अब इसे कड़ाही में ले के 3 से 5 मिनट हलकी आंच में भुन लेना है। ध्यान रहे की हलकी आंच में हल्का ही भूनना है। फिर ठंडा कर के मिक्सी में अच्छे से पीस कर सूखा लेते हैं अब आप का शुद्ध फ्रेश और ताजा Ragi Flour तैयार है।

रागी को कैसे खाएं?

रागी इन हिंदी के विषय में बात करते हुए आइये आप को बताते हैं कि रागी को अपने आहार में कैसे शामिल किया जा सकता है।

रागी को आहार में शामिल करने के लिए हम इसे विभिन्न प्रकार से आने अपने व्यंजनों में शामिल कर सकते हैं जैसे रागी की रोटी, रागी का डोसा ,रागी माल्ट, रागी का लड्डू ,रागी का हलवा इत्यादि इनमे से कुछ की रेसिपी इस प्रकार है।

Ragi Malt 

दोस्तों रागी इतना ज्यादा अधिक पोषकतत्त्वों से भरपूर है की इसे अलग अलग तरीके से चाहे जिस रूप में खाया जाये यह बहुत ही फायदेमंद है। पूरी दुनिया और और पूरे विश्व में लोग अलग-अलग तरीके से इसका सेवन करते हैं और खाने में उपयोग में लाते हैं। और इसका फायदा लेते रहें हैं। Ragi Malt  भी उन्ही रेसिपी में से एक है। और ये बहुत ही फायदेमंद है। आइये देखते की 5 से 10 मिनट में कैसे Ragi Malt कैसे बनाते हैं।

रागी माल्ट में लगने वाली सामग्री
●रागी आटा ५ से 6 चम्मच
●दूध १ कप
●गुड़ की चाशनी जरूरत के हिसाब से

सबसे पहले एक पैन लेकर उसमे 5 से 6 चम्मच Ragi के आटे को लेकर 3 कप पानी लेकर अच्छे से मिला लें। इसके बाद गैस को चालू कर लें। मध्यम आंच पर धीरे धीरे चलाते रहना है , नहीं तो जम जायेगा। चलाते चलाते इसका रंग बदलता जायेगा और धीरे-धीरे गाढ़ा हो जायेग।

5 से 6 मिनट में लगभग पक जायेगा। गैस को बंद कर के इसे ठंडा होने दे। अब एक कप लें जिसमे Ragi Malt सर्व करना हो इसमें गुड़ की चासनी या फिर चीनी मिला के चम्मच से अच्छे से मिला लें। ऊपर बादाम के कुछ कटे हुए टुकड़े दाल कर परोसें।

 Ragi Ball | रागी बॉल

सामग्री

घी                                         100 Gram
वॉलनट्स                                100 Gram
इलायची पीसी हुई                     2 Peace
गुड़                                       100 Gram

पैन या कड़ाही में  में थोड़ा सा घी लेकर गरम करें 250 ग्राम Ragi के आंटे को गरम घी में मिला कर हलकी आंच में धीरे धीरे भुने। एक और पैन में गुड़ लेकर बढ़िया सी चाशनी बना लें। आटा बढ़िया से पक जाने पर उसमे गुड़ की चाशनी मिला कर बढ़िया से मिला ले।

इसके बाद अखरोट के कश किये हुए टुकड़े और इलायची पाउडर मिला कर मिक्स कर लें। अब इसको अच्छे से मिला के ठंडा होने से पहले लड्डू की तरह बांध लें लड्डू तैयार है। इसी को Ragi Ballभी कहते हैं।

 

आयुर्वेद में रागी: रागी इन हिंदी

प्राचीन काल में जब अंग्रेजी दवाइयां या अस्पताल नहीं थे तब हमारे पूर्वज आयुर्वेद के हिसाब से ही चिक्तिसा प्रणाली चलाते थे। सारा उपचार औषिधियों से ही होता था। बहुत सारी औषिधियाँ , जड़ी बूटियां और औषधीय अनाज ही हमरे पूर्वजों के आयुर्वेद विज्ञानं एवं चिकित्सा प्रणाली का हिस्सा थे।

जैसा की हम जानते हैं की रागी पिछले लगभग  4000 सालों से इंसानों द्वारा Ragi का खाने में अनाज के रूप में उपयोग कर रहे हैं। Ragi खाने के रूप में उपयोग में लाइ जाने वाली सबसे पहली फसल है। हमारे पूर्वजों ने अपने आयुर्वेद की चिकित्सा प्रणाली में रागी के अनुप्रयोग के जबरदस्त परिणाम बताये हैं।

पुराने आयुर्वेदिक ग्रंथ उच्च रक्तचाप या उच्च रक्तचाप से सफलतापूर्वक लड़ने, कैंसर को रोकने, अवसाद का इलाज करने और यकृत विकारों को ठीक करने में रागी की उपचार क्षमता की प्रशंसा करते हैं।

चिकित्सीय अनुप्रयोग

विषय रागी इन हिंदी में आगे आइये जानते हैं की रागी के चिकित्सीय अनुप्रयोग क्या क्या हैं ?

● उच्च रक्तचाप को कम करता है

रागी में फाइबर की प्रचुर मात्रा प्रति 100 ग्राम में 11 mg लगभग फाइबर पाया जाता है। हमारे गलत खान पान की वजह से हमारी आंतो में धीरे धीरे गन्दगी जमा होने लगी है। जिससे अवशोषित होकर अशुद्ध रक्त हमरी रक्त वाहिकाओं में जाता है।

ये अशुद्ध रक्त हमारी वाहिकाओं में जाकर धीरे गाढ़ा होने लगता है और रक्त के बहाव को अवरोधित करता है। रागी में फाइबर की मात्रा अधिक पाए जाने के कारण जब हम इसका सेवन करते हैं तोये हमारी आँतों में जमा गन्दगी को बहुत अच्छे से बाहर निकालती है। जिस से शुद्ध रक्त हमारी वाहिकाओं में जाता है। और हमारी वाहिकाओं में शुद्ध रक्त और पोषक तत्त्वों का परिवहन सुगमता से हो पाता है।

● लीवर की खराबी का उपचार

Ragi एक चमत्कारिक अनाज है इसमें एंटीऑक्सीडेंट बहुत भरपूर मात्रा में पाया जाता है परिणाम स्वरुप Ragi विशेष रूप से यकृत और पित्ताशय में हानिकारक मुक्त कणों को तुरंत हटाने में मदद करता है। इस तरीके से, शारीरिक त्रिदोषिक अवस्थाओं के बीच संतुलन प्राप्त किया जाता है, जिसमें शरीर से सभी अवांछित वसा संचय समाप्त हो जाते हैं, जिससे स्वस्थ यकृत कार्य सुनिश्चित होता है।

● अवसाद के लक्षणों में सुधार लाता है

Ragi में बहुत सारे एमीनोएसिड पाए जाते हैं जिसकी वजह से रागी न्यूरोट्रांसमीटर विनियमन गुणों से युक्त,होता है। परिणाम स्वरुप रागी के लगातार और उचित सेवन से रागी कुशलता पूर्वक मन की स्थिति में सकारात्मक बदलाव कर के सत्व को बढ़ावा देकर मनो स्थिति में सुधर लाता है। जिससे मूड को बेहतर बनाने और बुद्धि को तेज़ कर के अवसाद के लक्षणों, से आप को मुक्ति दिलाती है

● त्वचा और बालों के लिए रामबाण उपाय

Ragi जिस प्रकार खाने के बाद हमारे शरीर में जाकर हमारे पूरे पाचन तंत्र को सुचारु रूप से चलाने का कार्य , दिमाग को स्वस्थ्य रखने का कार्य , रक्त में सर्करा को नियंत्रण में रखने का कार्य , हृदय को स्वस्थ्य रखने के साथ साथ हमारे शरीर की प्रतिरक्षा तंत्र प्रणाली को ऊर्जा देकर और मजबूत बनाने का काम करती है।

उसी तरह रागी कार्य का आटा हमारी कोशिकाओं को पुनर्जीवित करना , मृत कोशिकाओं को हटाने का काम भी करती है। हमारे बालों को मजबूत करके झड़ने से बचाती है। विभिन्न प्रकार के जादुई एमीनोएसिड और प्रचुर मात्रा में पाए जाने वाले एंटीऑक्सीडेंट के गुण मिलकर एक बेहतरीन क्सफोलिएटिंग एजेंट बनाता है। जो हमारी त्वचा में एक लुक और निखार प्रदान कर के आकर्षक बनाता है। हमारे सर से मृत कोशिकाओं को हटा कर बालों को चमकदार बनाता है।

● बढती उम्र को छिपाकर जवान दिखने में मदत करता है

जैसे जैसे हम बड़े होते हैं हमरे शरीर में कोशिका विभाजन का कार्य लगातार 24×7 चलता ही रहता है। नई कोशिकाओं का बनना पुरानी किशकाओं का मृत होना हमारा शरीर ये क्रिया लगातार करता रहता है। जैसे जैसे हमारी त्वचा में मृत कोशकाओं की संख्या बढ़ती है हमारा शरीर का प्रतिरक्षा तंत्र मृत कोशिकाओं को हटा कर नहीं कोशिकाओं को पैदा करता है।

इसी लिए हम जब बड़े होते रहते हैं तो जो ज्यादा खूबसूरत , चमकदार, जवान और आकर्षक दिखते है। लेकिन एक समय के बाद जब हम लगभग बड़े हो जाते हैं तो हमारे शरीर की त्वचा में ये क्रिया धीमी और सुस्त पड़ जाती है। जिस से हमारी त्वचा में मृत कोशिकाओं के संख्या बढ़ जाती है जिस से हम पहले से अधिक और ज्यादा बूढ़े दिखने लगते हैं।

अब अगर हम इस अवस्था में Ragi का सेवन खाने और बाहरी त्वचा में लगाना शुरू कर दें तो ये हमें एक चमत्कारीक परिणाम देगा। रागी के बीज की ऊपरी परत फेनोलिक एसिड और फ्लेवोनोइड से बना होता है। एंटीऑक्सीडेंट के दो महत्वपूर्ण गुण जो उल्लेखनीय है मृत कोशकाओं को हटाना और नई कोशिकाओं के निर्माण में मदत करता है।

रागी में अमीनो एसिड की प्रचुर मात्रा मौजूदगी शरीर में त्वचा के कोलोजन प्रक्रिया को बढ़वा देता है। जिस से बढ़ी हुई उम्र में भी हम जवान, हमारी त्वचा चमकदार और आकर्षक दिखती है।

●  त्वचा के अनियमित धब्बों हाइपरपिग्मेंटेशन का इलाज

आज की भाग दौड़ भरी जिंदगी और गलत खान पैन की वजह से हमारे शरीर की रोगप्रतिरोधक क्षमता घटी है जिसे से हमारा शरीर बहुत सारी बीमारियों का शिकार होता जा रहा है। इसी क्रम में जब हम धूप में ज्यादा निकलते हैं तो सूर्य से आने वाली हानिकारक अल्ट्रा वायलेट किरणे हमारी त्वचा को नुकसान पंहुचाती हैं परिणाम स्वरुप हमारी त्वचा में अतरिक्त काले धब्बे पड़ जाते हैं जो दिखने में बहुत भद्दे दिखते हैं। इन काले धब्बों को ही हाइपरपिग्मेंटेशन कहा जाता है।

चूँकि Ragi एक ऐसा अनाज है जिसमे एंटी-एजिंग गुण भी पाया जाता है। चूँकि हम जानते हैं की रागी में ढेर सारे अमीनो एसिड पाए जाते हैं जिसमे से बीटा हाइड्रॉक्सी एसिड, कोजिक एसिड, ट्राइक्लोरोएसेटिक एसिड भी पाए जाते हैं जो हाइपरपिग्मेंटेशन का इलाज कर इसे हटाने में मदत करता है।

अनियमित त्वचा के रंगो को त्वचा से हटाने के लिए रागी के आंटे में थोड़ा सा दूध और शहद मिलाकर हर्बल मास्क की तरह लागएं बेहतरीन परिणाम सामने आएंगे।

● कील मुहांसो से सुरक्षा प्रदान करता है

हमारे गलत खान पान और जंक फ़ूड के ज्यादा सेवन से हमारे शरीर और त्वचा में विभिन्न प्रकार की विकृतियां पैदा हो जाती है जिसमे से मुहासा भी एक ही है। जिसके हो जाने पर हमारे चेहरे पर कील मुहासे हमारे चेहरे की खूबसूरती को काम कर देते हैं।

मुहासा एक त्वचा विकार है जो हमारी त्वचा के भीतर सूक्ष्म तेलीय ग्रंथियों में आने वाली सूजन के कारन होता है। तेल हमारी त्वचा की कोशिकाओं और हेयर फॉलिकल्स में जमा हो जाता है। इसमें पाए जाने वाले बैक्टीरिया इसमें मौजूद पोर्स को बंद कर देती है। परिणाम स्वरुप स्किन कोशिकाओं में सूजन सी आ जाती है। जिसे मुहांसे कहते हैं।

चूँकि Ragi में टैनिन बहुत प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं। टैनिन सूजन को काम करने वाले सूजन रोधी गुणों वाले पौधों के यौगिक हैं। जो चेरे से से दाग-धब्बे, कील ,मुहासों को काम करने में मदत करती है। और आप का चेहरा सुन्दर और चमकदार दिखने लगता है।

● बालों को झड़ने से रोके और दे प्राकृतिक कालापन

रागी अमीनो एसिड्स का बड़ा पावरफुल साधन है दो मुख्य अमीनो एसिड जिनकी कमी हमारे बालों के झड़ने, पकने और गिरने का मुख्य कारण है वो है मेथिओनिन और लाइसिन जैसे फॉर्मेटिव अमीनो एसिड । यही वो अमीनो एसिड हैं जो हमारे बालों के झड़ने के लिए जिम्मेदार होती है। रागी में ये दोनों अमीनो एसिड्स बहुत प्रचुर, मात्रा में पाए जाते हैं। जिसके सेवन से ये हमारे बालों की झड़ने से रोकता है ,बालों को प्राकृतिक तरीकों से काला बनाये रखने के लिए बहुत ही उपयोगी है।

● अनिद्रा में मदतगार

रागी में मौजूद मैक्रोन्यूट्रिएंट्स,खनिज वसा फाइबर आदि सब पचने में ज्यादा समय लेते हैं। जिससे शरीर सुस्त और मस्तिष्क शांत हो जाता है । और नींद आने की संभावना बढ़ जाती है। रत को सोते समय अगर रात Ragi Malt का बढ़िया गिलास का पी लेने से नीड आने की संभावना बढ़ जाती है।

रागी रत में खाने से होने वाले नुकसान : रागी इन हिंदी 

जैसा की हम लोगों ने अब तक ये जाना की Ragi में प्रोटीन , कार्बोहइड्रेट फाइबर प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं ये सभी मैक्रोन्यूट्रिएंट्स हैं। पाचन क्रिया के दौरान मैक्रोन्यूट्रिएंट्स को टूट कर विघटित होने में ज्यादा समय ;लगता है।

रागी में मौजूद फाइबर पाचन क्रिया को विस्तररित करता है जिसे पाचन क्रिया के लिए ज्यादा समय चाहिए होता है। ऐसा न होने पर या फिर पाचन क्रिया को पूर्ण समय पाचन क्रिया अवरूद्ध होती है। और स्वस्थ्य शरीर में नई नई विकृतियों के जन्म देती है।

इस लिए कहा जाता है की Ragi का सेवन सुबह नाश्ते में या फिर दोपहर को भोजन में किया जा सकता है। अगर सुबह नास्ते में रागी का उपयोग कर रहे हैं तो तो रागी का डोसा या फिर लड्डू खा सकते हैं।

दोपहर को खाने में Ragi के आटे से बनी रोटियां खाने की सलाह दी जाती है। चूँकि जब दिन में सूर्य निकल जाता है जिसके बाद हमारी जठराग्नि जागृत रहती है जिससे इस समय गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल नमक एसिड स्रावित होता है। जिससे पाचन क्रिया में तेजी आती। और शरीर पोषक तत्त्वों को तेज़ी से अवशोषित कर पता है।

 

How To Export Ragi  | रागी निर्यात कैसे करें ?

जैसा की हम लोग जानते हैं भारत सरकार एक्सपोर्ट के लिए बहुत प्रोत्साहित कर रही है। तो आप को बता दें Ragi को एक्सपोर्ट करना बहुत ही फायदेमंद है। सरकार ने निर्यात करना बहुत ही आसान कर दिया है। केवल कुछ ही स्टेप फॉलो कर के आप एक्सपोर्ट करना शुरू कर सकते हैं। कुछ जरूरी दस्तावेज भी है जो आप को भारत सरकार से बनवाने पड़ते हैं। जिसके बाद आप निर्यात करने के पात्र हो जाते है। तो आइये समझते हैं की क्या क्या दस्ता वेज आप को लगने वाले हैं।

इसे भी पढ़े How to Start Import-Export Business in India-इम्पोर्ट एक्सपोर्ट का बिजनेस कैसे शुरू करें?

IEC Code या फिर इम्पोर्ट एक्सपोर्ट कोड :

इसे आयात-निर्यात लाइसेंस भी कहा जाता है। ये वो सबसे पहला दस्तावेज है जो आप को एक्सपोर्ट करने के लिए चाहिए ही चाहिए होता है। इम्पोर्ट-एक्सपोर्ट लाइसेंस बनाने के लिए सबसे पहले आप को अपनी एक कंपनी रजिस्टर्ड करनी पड़ती है । जिसके बाद आप को उस कंपनी के नाम से वस्तु एवं सेवा कर सर्टिफिकेट (GST) लेनी पड़ती है।

किसी एक नेशनल बैंक की मुख्या साखा में आप को अपना एक चालू खाता खोलना पड़ेगा। खाता खुल जाने के बाद। आप को अपना आधार कार्ड ,पैन कार्ड ,पासपोर्ट साइज फोटो, GST सर्टिफिकेट, बैंक खाता नंबर लेकर ICEGATE Indian Customs and Central Excise Electronic Commerce/Electronic Data Interchange (EC/EDI) गेटव। या भारतीय सीमा शुल्क इलेक्ट्रॉनिक डेटा इंटरचेंज गेटवे (ICEGATE) केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर और सीमा शुल्क बोर्ड। की वेबसाइट पर जा कर खुद रजिस्टर्ड कर कर सकते है।

या फिर आप अपना एक कस्टम हाउस एजेंट की मदत ले सकते हैं। जो आप को आयात निर्यात लाइसेंस बनवाने में पूरी मदत कर देगा। अगर आप खुद से ही अपना लाइसेंस बनवाना कहते हैं तो हमने अपने अन्य ब्लॉग में IEC लाइसेंस बनाने की पूरी जानकारी स्टेप बी स्टेप दी हुई है आप उसे भी देख सकते हैं भी देख सकते हैं।

इसे भी पढ़े IEC Code या इम्पोर्ट-Export लाइसेंस कैसे बनवाएं?

 

AD Code या अधिकृत डीलर कोड :

इम्पोर्ट एक्सपोर्ट लाइसेंस के बाद दूसरा जो जरूरी दस्तवेज आप को लेना है वो है AD CODE ये आप को आप के बैंक द्वारा जिमसे आप का खाता है से आवेदन करने पर जारी किया जायेगा। AD कोड का उपयोग अंतर्राष्ट्रीय व्यापर में विदेशी मुद्रा के लेन देन में आप के आप के बैंक द्वारा किया जाता है।

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APEDA : अपेडा

Agricultural and Processed Food Products Export Development Authority कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण(एपीडा) यह भारत सरकार का एक उपक्रम है इसकी स्थापना 1985 में की गई थी। यह भारत सरकार के वाणिज्य मंत्रालय के अंतर्गत कार्य करता है।

इसका मुख्य कार्य भारत से सभी खाने पीने वाली चीजों के निर्यात पर निरानी रखना होता है। जिमसे निर्यात की जाने वाली वस्तु मूल्य, क्वालिटी आदि आता है। आप को इसका सटिफिकेट भी लेना पड़ेगा बिना APEDA सर्टफिकेशन के Ragi का निर्यात संभव नहीं है।

APEDA द्वारा किये जाने वाले प्रमुख कार्य एवं उत्पादों की निगरानी

फल, सब्जी तथा उनके उत्पाद
मांस तथा मांस उत्पाद
कुक्कुट तथा कुक्कुट उत्पाद
डेरी उत्पाद
कन्फेक्शनरी, बिस्कुट तथा बेकरी उत्पाद
शहद, गुड़ तथा चीनी उत्पाद
कोको तथा उसके उत्पाद, सभी प्रकार के चॉकलेट
मादक तथा गैर-मादक पेय
अनाज तथा अनाज उत्पाद
मूँगफली और अखरोट
अचार, पापड़ और चटनी
ग्वार गम
पुष्प कृषि तथा पुष्प कृषि उत्पाद
जड़ी-बूटी तथा औषधीय पौधे
एपीडा को चीनी के आयात की निगरानी करने की ज़िम्मेदारी भी दी गई है।

Custom House Agent : कस्टम हाउस एजेंट

कस्टम हाउस एजेंट को CHA भी कहते हैं। कस्टम हाउस एजेंट आयत निर्यात करने के सबसे जरूरी स्तम्भ है। ये शिपिंग लाइन, कस्टम विभाग और इम्पोर्टर के बीच की कड़ी है। कस्टम हाउस एजेंट आप को आप शिपपमेंट का कस्टम क्लीरेंस से लेकर शिपपमेंट को जहाज पर लोड करवाने तक की जिम्मेदारी लेता है। अगर आप एक कस्टम हाउस एजेंट Hire कर लेते हैं तो आप को निर्यात करना बहुत आसान हो जायेगा।

इतनी सब तयारी करने के बाद अब आप निर्यात करने के लिए पात्र हो गए हैं। अब देखते है की रागी को कैसे निर्यात कर सकते हैं कितना नुकसान और कितना फायदा है

How To Export Ragi : रागी निर्यात के बारे में सब कुछ 

भारत सरकार भारत में सभी मोटे अनाजों को बहुत प्रमोट कर रही है। सभी मोटे अनाजों को एक्सपोर्ट करने के लिए भी बहुत प्रमोट कर रही है। मोटे अनाज जिमसे नाचनी ,कोदो सावां बाजरा मक्का प्रमुख हैं। नाचनी जिसे रागी भी कहते हैं उसमे से प्रमुख है।

भारत सरकार रागी को निर्यात करने के लिए प्रोत्साहन स्वरुप आप के कुल आयात वैल्यू के 0.15 % DBK स्कीम की तहत निर्यातक को देता है। दूसरा और फायदा जो भारत सरकार रागी निर्यात करने के लिए निर्यातक को देती है। वो है RoDetp की स्कीम की तहत १ % निर्यात क्रेडिट के तौर पर देती है।

रागी का व्यापर भारत के साथ साथ पूरी दुनिया में में बहुत बृहद रूप से किया जाता है। निर्यात विश्लेषण पर उपलब्ध आंकड़ों से पता चलता है की लगभग 57 देश और क्षेत्र हैं जो सक्रिय रूप से रागी के आयात में शामिल है। ये कुल निर्यात का संयुक्त मूल्य 5.12 USD मिलियन है।

प्रमुख 5 देश जो सबसे अधिक मात्रा में रागी आयात करते हैं जो इस प्रकार हैं

इंडोनेशिया              32.5 मिलियन USD
जर्मनी                     13.2 मिलियन USD
बेल्जियम                 10.3 मिलियन USD
कनाडा                   7.9 मिलियन USD
नीदरलैंड                7.5मिलियन USD

तो दोस्तों हम हम अगर हम निर्यात करना चाहते तो हम इन देशों को निर्यात करके अपने निर्यात का श्री गणेश कर सकते हैं।
भारत से सबसे अधिक मात्रा रागी एक्सपोर्ट होने वाले देशों का विवरण इस प्रकार है

वित्त वर्ष 2020-2021 (अप्रैल-नवंबर) में, भारत से नेपाल को लगभग 3.62 मिलियन अमेरिकी डॉलर मूल्य की रागी का निर्यात किया गया था। यह रागी के कुल निर्यात का लगभग 70.7% था।

अक्टूबर 2020 में भारत से निर्यात की गई रागी का मूल्य 0.9 USD मिलियन था।
प्रमुख देश जहां अक्टूबर 2020 में रागी का निर्यात किया गया, वे हैं नेपाल (0.57), ट्यूनीशिया (0.16), लीबिया (0.07), संयुक्त अरब अमीरात (0.03), मलेशिया (0.02)।

भारत में Ragi के उत्पादन करने वाले देशों में भारत तीसरे नंबर पर आता है। तो इस तरह से हमारे पास एक बहुत अच्छा मौका है रागी निर्यात कर के फायदा कमाने का एक अच्छा मौका है। भारत से Ragi निर्यात कर के आप खुद तो फायदा कमा ही सकते हैं साथ ही भारत के तरक्की में अपना योगदान दे सकते हैं।

रागी का उत्पादन करने वाले भारत के प्रमुख राज्य

जैसा की हमने बताया की भारत Ragi  निर्यात करने वाले सभी देशों में भारत तीसरे नंबर पर आता है। भारत में रागी का उत्पादन करने वाले प्रमुख राज्य इस प्रकार है। पहले नंबर पर कर्णाटक दुसरे नंबर पर तमिलनाडु तीसरे नंबर पर उत्तराखंड चौथे पर आंध्रा प्रदेश आता है।

रागी के निर्यात में होने वाले फायदे या नुकसान का आकलन

Ragi का रेट लगभग 25 रुपये प्रति किलो है तो अगर हम रागी को पीसकर अगर इसका आंटा भी हम पैक कर के भारत के अंदर ही अगर हम भारतीय बाजार में बेंचे तो यहाँ रागी का आंटा 70 से 80 रुपया पैर kg बिक जाता है।

जिससे हम 25 से 30 % लाभ यही अपने लोकल बाजार में बेंच के ही कमा सकते हैं। अब अगर बात करे निर्यात करने की तो लगभग 100 से 120 रुपया प्रति किलोग्राम के हिसाब से फ्री ऑन बोर्ड कंडीशन में निर्यात करने पर मिल मिल जाता जाता है।

How to Find Buyer For Ragi Export : निर्यात के लिए बायर कैसे ढूंढे?

 रागी इन हिंदी  अब जानेंगे की रागी के लिए विदेशों में खरीदार कैसे ढूंढे ?Ragi जैसे अनाजों मांग विदेशों में बहुत ज्यादा है। जैसा की हमने ऊपर निर्यात का विवरण दिया हुआ है। आप को बस बताना है लोगों को की हम Ragi के सप्लायर हैं बायर खुद आप से संपर्क कर कर लेगा।

और वैसे भी आज की इस डिजिटल दुनिया में बायर खोजना इतना भी मुश्किल का काम नहीं रहा बहुत सारे ऑनलाइन पोर्टल हैं जहाँ बहुत सारे बायर और सप्लायर रजिस्टर्ड हैं।

जैसे www.alibaba.com , www.go4worldbusiness.com ऐसे और बहुत साडी वेबसाइट हैं जहाँ आप अपना रजिस्ट्रेशन करवा के बायर से सीधा संपर्क कर सकते हैं। और अपने प्रोडक्ट के हिसाब से रेट और डील फाइनल कर सकते हैं ।

 How To Start Export of Ragi : निर्यात शुरू कैसे करें ?

एक बार आप की बायर से बात चीत फाइनल हो जाती है तो आप को Ragi खरीदने के लिए भी कहीं जाने की जरूरत नहीं आप इंडिया मार्ट की वेबसाइट पर विजिट कीजिये वहां से बहुत सारे सप्लायर आप को मिल जायेंगे उनसे आप अपने सुविधा के हिसाब से खरीद का रेट फाइनल कर लें। वो रागी आप के घर या गोडाउन तक भी पंहुचा देंगे।

इसके बाद आप अपने कस्टम हाउस एजेंट से बात कर के वो जो भी दस्ता वेज आप से मांगे उसको मुहैया करवा दीजिये। आपका कस्टम हाउस एजेंट आप के माल के कस्टम क्लेअरेंसे करवा के जहाज पर लोड करवा देगा। और आगे भी जो जरूरी दिशा निर्देश होगा आप को देता रहेगा। अब आप ने रागी का निर्यात करना शुरू कर दिया है।

दोस्तों अगर आप भी आयात-निर्यात व्यापर करना चाहते हैं तो ये वेबसाइट आप के लिए बहुत ही सही जगह है। आप को आयात निर्यात से सम्बन्घित हर एक जानकारी छोटी से छोटी जानकारी बड़ी से बड़ी सब कुछ आप को यहाँ मिलेगी। इसके अलावा आप हमसे भी संपर्क कर सकते हैं। आज हम रागी इन हिंदी विषय के बारे में बात कर रहे थे। हमआप को कस्टम क्लीरेंस , फ्रेट फॉरवार्डिंग सब कुछ करवा के देंगे आप कहीं और जाने की बिलकुल भी जरूरत नहीं है। हमसे संपर्क करने के लिए आप हमे मेल कर सकते हैं साथ में अपना मोबाइल नंबर भी भेजें हम कॉल करेंगे आप को।

Conclusion : निष्कर्ष

दोस्तों आज हम रागी इन हिंदी टाइटल के अंतर्गत रागी के बारे में पूरी चर्चा किये।  रागी के बारे में इस लिए भी जरूरी हो गया था की सरकार भी अब रागी को प्रमोट कर रही है। और Ragi इतना चमतकारीक अनाज है हम इसको भुलाये बैठे थे। गेहूं चावल के पीछे परेशान हैं। गेहूं चावल लगातार खाते खाते इतनी बीमारियों को जनम दे दिए।

रागी इन हिंदी टाइटल के अंतर्गत इतना सब जान लेने के बाद कम से कम अपने आहार में Ragi को जरूर शामिल कर लेना चाहिए। दिन में एक बार न सही तो ३ दिन में एक बार, तो खाना ही चाहिए। हमने रागी के बारे में सब कुछ जाना। कैसे खाते हैं , क्या नुकसान ,क्या फायदा , रागी को लेकर बिज़नेस कैसे करे। Ragi का को एक्सपोर्ट कैसे करें सब कुछ आज हम इसके बार में जाने , आप को ये जानकारी ये लेख कैसा लगा ? हमे जरूर बताना बहुत बहुत धन्यवाद।

Frequently Asked Question 

Question 1. रागी का देसी नाम क्या है?

Answer 1. रागी इन हिंदी रागी को नाचनी भी कहते हैं। भारत देश में भिन्न भिन्न राज्योँ में अलग अलग भाषाएँ बोली जाती है। हर राज्य में रागी को अपने अपने हिसाब से अलग अलग नामों से पुकारते हैं। जैसे हिंदी में नाचनी या मंडुवा ,राजस्थान में रागी, तेलगु में रागुलु, पंजाबी में चलोडरा आदि नामों से बुलाते हैं।

Question 2. रागी कब नहीं खाना चाहिए?

Answer 2. रागी खाने के लिए अगर समय की बात की जाये तो रात में खाने से बचना चाहिए। चूँकि रागी में विटमिन और मिनिरल्स बहुत प्रचुर मात्रा में पाया जाता है। रागी में प्रति १०० ग्राम में लगभग ११ ग्राम फाइबर पाया जाता है। Ragi का सेवन अगर हम रात में करते हैं तो फाइबर पाचन क्रिया को बहुत विस्तारित कर देता है। जिससे रात में खाये हुए रागी का पाचन ठीक से नहीं हो पाता , जिस से समस्याऐं उत्पन्न होती हैं ।

Question 3. मैं प्रति दिन कितना रागी खा सकता हूं?

जैसा की हम जानते हैं रागी में कैल्शियम की बहुत प्रचुर मात्रा पाई जाती है जो की फास्फोरस के साथ मिल कर हमारी हड्डियों एवं दांतों को मजबूती प्रदान करता है लगभग १०० ग्राम रागी में हमारे शरीर के दैनिक उपयोग में आने वाली लगभग ५० % कैल्शियम की आपूर्ति हो जाती है। कैल्शियम की यह मात्रा किसी अन्य अनाज या दूध में पाए जाने वाले कैल्शियम के मात्रा से कहीं ज्यादा है। अधिक कैल्शियम का लगातार सेवन हमारी किडनी में स्टोन की समस्या पैदा कर सकता है। अतः रागी का सेवन उचित मात्रा में ही करें।

Question 4 . क्या बच्चे को रोज रागी दे सकते हैं?

हाँ बिलकुल रागी में बहुत अधिक मात्रा में विटमिन ,प्रोटीन और कैल्शियम पाए जाते हैं जो की बढ़ते हुए बच्चों के लिए बहुत अधिक जरूरी है । चूँकि रागी में फाइबर भी प्रचुर मात्रा में पाया जाता है। जिस से इसका पाचन होने में समय ज्यादा लगता है। इस लिए बच्चों को रागी सुबह की टाइम और उचित मात्रा में देना चाहिए।

Question 5.क्या रागी से किडनी में पथरी होती है?

Answer 5.  ठीक ठीक नहीं कहा जा सकता। चूँकि रागी में कैल्शियम बहुत प्रचुर मात्रा में पाया जाता है। इसे वो इंसान जिसे किडनी स्टोन की समस्या है रागी के सेवन से बचना चाहिए। एक आम स्वस्थ्य इंसान उचित मात्रा में रागी का सेवन लगातर कर सकता है।

अस्वीकरण: इस हिंदी ब्लॉग वेबसाइट परऔर खाद्य पदार्थों के बारे में दी गई जानकारी केवल सामान्य सूचनात्मक उद्देश्यों के लिए है। इसका उद्देश्य पेशेवर सलाह नहीं है, और पाठकों को व्यक्तिगत मार्गदर्शन के लिए योग्य विशेषज्ञों से परामर्श करने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है। ब्लॉग प्रदान की गई किसी भी जानकारी की सटीकता, पूर्णता या उपयुक्तता का समर्थन या गारंटी नहीं देता है। अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करे। Ganv wala Exporter  इस जानकारी के लिए जिम्मेदारी का दावा नहीं करता।

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